भवानीपुर सीट पर धुरंधर प्रतिद्वंद्वी न होने के कारण ममता की राह आसान
भवानीपुर सीट पर धुरंधर प्रतिद्वंद्वी
कोलकाता। Bengal assembly elections : बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत से मोदी सरकार के खिलाफ सशक्त चेहरे के रूप में उभरने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब भवानीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में उतर रही हैं, जहां प्रतिद्वंद्वियों से उन्हें कड़े मुकाबले की उम्मीद नहीं है।
गत विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से चुनाव लडऩे वाली ममता को प्रचार के दौरान पैर में चोट लग गई थी और उन्होंने खुद को ‘घायल शेरनी’ बताया था, हालांकि नंदीग्राम में उन्हें भाजपा के उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी से हार का सामना करना पड़ा था।
Bengal assembly elections : भवानीपुर सीट पर इस बार ममता के खिलाफ भाजपा की प्रियंका टिबड़ेबाल और माकपा के श्रीजीब बिश्वास हैं। प्रियंका ने इंटाली से विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गई थी। प्रियंका अभी राजनीति में नई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के लिए भवानीपुर की लड़ाई सीट जीतने के बजाय अपना 35 फीसद वोट प्रतिशत बचाए रखना है। ममता के लिए यह मौका न केवल नंदीग्राम में हुई अपनी हार का बदला लेने का है बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में उनकी बड़ी महत्वाकांक्षा से भी जुड़ा है।
कांग्रेस ने शुरुआती हिचकिचाहट के बाद ममता के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने और प्रचार से दूर रहने का फैसला किया। ममता ने 2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में दो बार भवानीपुर सीट से जीत दर्ज की थीं लेकिन इस साल के विधानसभा चुनाव में उन्होंने नंदीग्राम सीट से चुनाव लडऩे का फैसला किया था।
Bengal assembly elections: मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप ममता को पांच नवंबर तक राज्य विधानसभा में एक सीट जीतना आवश्यक है। संविधान किसी राज्य विधायिका या संसद के गैर-सदस्य को केवल छह महीने के लिए चुने बिना मंत्रिपद पर बने रहने की अनुमति देता है। नंदीग्राम में ममता की हार के बाद राज्य के कैबिनेट मंत्री और भवानीपुर से तृणमूल विधायक शोवनदेव चट्टोपाध्याय ने अपनी सीट खाली कर दी थी ताकि इस सीट से मुख्यमंत्री चुनाव लड़ सके।
राज्य के वरिष्ठ मंत्री एवं तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने बताया-‘हमारे लिए जीत कोई मुद्दा नहीं है। ममता बनर्जी इस सीट से जीतेंगी, यह पहले से तय है। यह बात विपक्षी दल भी जानते हैं। हमारा लक्ष्य रिकार्ड अंतर से जीत सुनिश्चित करना है। लोगों ने नंदीग्राम में रची गई साजिश का बदला लेने के लिए रिकार्ड अंतर से ममता बनर्जी को इस सीट पर जिताने का फैसला किया है।
Bengal assembly elections : वहीं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा-ज्यादातर वरिष्ठ नेता ममता के खिलाफ, और वह भी भवानीपुर से उपचुनाव लडऩे को तैयार नहीं थे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा वोट प्रतिशत बरकरार रहे या उसमें वृद्धि हो।’ वैसे प्रियंका अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखती हैं और उन्होंने चुनाव बाद हुई हिंसा को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला किया है।
प्रियंका ने कहा-‘ममता बनर्जी यह चुनाव मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए लड़ रही हैं। मेरा काम निर्वाचन क्षेत्र के लोगों तक पहुंचना और उन्हें विधानसभा चुनावों के बाद विपक्षी कार्यकर्ताओं पर उनकी पार्टी द्वारा किए गए अत्याचारों, यातनाओं और हिंसा के बारे में सूचित करना होगा। मुझे विश्वास है कि भवानीपुर के लोग मुझे वोट देंगे और उन्हें हरा देंगे।
वाममोर्चा के उम्मीदवार श्रीजीब वबश्वास ने कहा-ममता बनर्जी के नेतृत्व में विकास की कमी उपचुनाव में एक प्रमुख मुद्दा होगा। हमारी लड़ाई तृणमूल और भाजपा दोनों के खिलाफ है। हम इस बात पर जोर देंगे कि पिछले 10 वर्षों में राज्य में कोई विकास नहीं हुआ है।Óभवानीपुर सीट पर 30 सितंबर को उपचुनाव होना है।